अर्थालंकार
उपमा अलंकार
जहाँ गुण , धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है वहा उपमा अलंकार होता है .
उपमा अलंकार
जहाँ गुण , धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है वहा उपमा अलंकार होता है .
उदहारण-सागर-सा गंभीर हृदय हो,गिरी- सा ऊँचा हो जिसका मन।
इसमें सागर तथा गिरी उपमान, मन और हृदय उपमेय सा वाचक, गंभीर एवं ऊँचा साधारण धर्म है।रूपक अलंकार
जिस जगह उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाए, उस अलंकार को रूपक अलंकार कहा जाता है, यानी उपमेय और उपमान में कोई अन्तर न दिखाई पड़े.
जैसे -अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा-नागरी
यहाँ पर अम्बर रूपी पनघट।तारा रूपी घट।ऊषा रूपी नागरी है ।
उत्प्रेक्षा अलंकार
उपमेय में उपमान की कल्पना या सम्भावना होने पर उत्प्रेक्षा अलंकार कहलाता है.
जैसे -सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की मालबाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल।।
यहाँ पर गुंजन की माला उपमेय में दावानल की ज्वाल उपमान के संभावना होने से उत्प्रेक्षा अलंकार है।
जिस स्थान पर लोक-सीमा का अतिक्रमण करके किसी विषय का वर्णन होता है। वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
जैसे -
जैसे -
हनुमान की पूँछ में लगन न पायी आगि।
सगरी लंका जल गई, गये निसाचर भागि।।
सगरी लंका जल गई, गये निसाचर भागि।।
यहाँ पर हनुमान की पूँछ में आग लगते ही सम्पूर्ण लंका का जल जाना
तथा राक्षसों का भाग जाना आदि बातें अतिशयोक्ति रूप में कहीं गई हैं.
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